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Tuesday, July 21, 2015
Friday, July 10, 2015
बचपन
प्यार मिला, परिवार मिला
ख़ुशियों भरा संसार मिला।।
जाने क्यूँ फिर भी मन
याद करे वो बीता बचपन।।
वह माँ का आँचल, पापा की गोदी।
भाई के संग बात-बात पर झगड़ना,
अौर फिर अपने आप मान जाना।।
याद आते हैं वो प्यारे दिन,
न लौट के आएँगे अब वो दिन।।
प्यार मिला, परिवार मिला
ख़ुशियों भरा संसार मिला।।
जाने क्यूँ फिर भी मन
याद करे वो बीता बचपन।।
सहेलियों के संग हँसना और घूमना,
बिना किसी फ़िकर के कुछ भी करना।
याद आते हैं वो प्यारे दिन,
न लौट के आएँगे अब वो दिन।।
दिन बदले, समय बदला,
कब बचपन अपने हाँथों से निकला।
सोचती हूँ तो लगता है - जैसे...
इतने साल बीत गए - कैसे?
आज ख़ुद माँ हूँ तो जाना है,
अपनी माँ के त्याग को अब पहचाना है।
जो चीज़ माँगती, मिनट से पहले मिलती थी पापा से;
बहुत याद करती हूँ बचपन की वह कहानियाँ जो सुनी थी पापा से।।
प्यार मिला, परिवार मिला
ख़ुशियों भरा संसार मिला।।
जाने क्यूँ फिर भी मन
याद करे वो बीता बचपन।।
समय बहुत बलवान है,
करना पड़ता इसका सम्मान है।
समझ में आया अब जाके ये,
समय का चक्र चलता जाए।
कोई शक्ति न इसे हरा पाए।।
आज है मेरा अपना संसार,
यहाँ सब करते मुझको प्यार ।
फिर भी मन हो जाता कई बार बेईमान,
सोचता क्या है, और क्या हो जाता है इंसान।।
मन में भरी उमंगें, जैसे समुद्र की तरंगें ।
छोड़ आई हूँ सब कुछ पीछे, आँखें मूँदती हूँ तो लगता है- जैसे,
मेरा प्यारा बचपन मुझको खींचे।।
जानती हूँ न लौटा सकेगा मेरे बचपन को अब कोई,
जिसे आज भी याद कर के मैं सोई।
ख़ुश हूँ बहुत आज मैं अपने संसार में,
न किसी से शिकायत, न गिला;
क्यूँकि -
प्यार मिला, परिवार मिला
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